मंजिले देख कर हस रही है
मेरी तरफ....!!
कह रही है..।।
क्या हुआ तेरे हुनर को..।
कह चूपा दिया तेरे अक्कल को..।
मै सोंच में डूबी । बस यहीं सोच रही हूं
मंजिले थो वहीं है।।
लेकिन मै ही नहीं जा रही हूं।।
क्यों की जिम्मदारियां मंजिले से बढ़कर होती है।।
मेरी तरफ....!!
कह रही है..।।
क्या हुआ तेरे हुनर को..।
कह चूपा दिया तेरे अक्कल को..।
मै सोंच में डूबी । बस यहीं सोच रही हूं
मंजिले थो वहीं है।।
लेकिन मै ही नहीं जा रही हूं।।
क्यों की जिम्मदारियां मंजिले से बढ़कर होती है।।
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