Thursday, March 12, 2020

मंजिल सपनों की

मंजिले देख कर हस रही है

मेरी तरफ....!!

कह रही है..।।

क्या हुआ तेरे हुनर को..।

कह चूपा दिया तेरे अक्कल को..।

मै सोंच में डूबी । बस यहीं सोच रही हूं

मंजिले थो वहीं है।।

लेकिन मै ही नहीं जा रही हूं।।

क्यों की जिम्मदारियां मंजिले से बढ़कर होती है।।

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