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Thursday, April 2, 2020

मजदूर:: कहानी ज़िन्दगी की

मजदूर::

रमेश एक मजदूर है।।उसकी ज़िन्दगी रोज़ मजदूरी करने से गुज़र थी है।।उसके घर में उसकी बूढ़ी मां ।उसकी बीवी दो बच्चे है।।उसका दिन गुज़र ना बहुत कटीन है।।उसका चोटा सा चोपड़ी है।।

   हर दिन सुबह होते ही।।काम पे चला जाता है।।उसके घर से 5 किलो मीटर दूर पर एक जगह है।।वहां पर सब मजदूर खड़े होते है।।वहां जाके खड़ा होता है।।कबी कबी उसे काम नहीं मिलता ।।कबी कबी मिल जाता है।। रमेश पड़ा लिखा नहीं ता।।वह सोच ता रहेथा है।।उसने पढ़ाई नहीं की।।इसलिए वह ऐसे ज़िन्दगी गुज़र रहा है।।लेकिन वह अपने बच्चों को ज़रूर अच्छी शिक्षा पड़ये गा।।

       रमेश का दिन यहीं गर्मी में गुजर थी है।।सुबह से लेके शाम तक बस काम की तलाश में रहता है।।कबी कबी कुछ कता भी नहीं।।उसके हाथ पूरी तरह से चिले हुए ते।।जब वह काम करके जाता ता।थो उसे चोट लगने की वजह से ऐसा होगया था।।उसके पास चप्पल नहीं ते।।कुछ दिन पहले टूट गए ते।।उसके पास पैसे नहीं ते।।चप्पल लेने।।

     आज रमेश को कुछ भी काम नहीं मिला।।वह खाली ही वापस गया।।बहुत रात होगई थी।।रमेश के बच्चे सोगाए ते।।घर जाके पत्नी को बताया आज कुछ काम नहीं मिला।।पत्नी उसे खाना खाने को कहां ।।दोनों सोच ते हुए बैट गए आगे की ज़िन्दगी कैसे होगी।।।।

सपनों की उड़ान part2

सपनों की उड़ान part२

कल्पना की होसाला इतना बड़ा था कि वह अपने सपने में कमियांबी पा ली।।वीना ने अपनी तरफ से मदद करके उसकी सपना भी थोड़ा पूरा होगया था। कल्पना की पतशाला में बहुत सारी लड़के लड़कियां पढ़ाई होती है ।कल्पना ने उसी शहर के एक डाक्टर से शादी की।।

        कल्पना की स्कूल में अपने दिन गुज़र जाता था।।कल्पना का कहना ये ता।।अगर कोई भी काम बोझ समझ कर नहीं करना चाहिए।।उसे ज़िम्मेदारी समझ कर करो।।काम इतना आसान होता।जैसे हम अपनी ज़िन्दगी जी रहे है।।स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के साथ दूसरे हुनर भी सिखाया करते ते।।


      वीना भी अपने काम से बहुत खुश थी।।वह रोज स्कूल आया करथी और अपनी तरफ से पूरी खोशिस करती ।।स्कूल में सब बेहतरीन होने का ।वक़्त गुज़र था गया।।स्कूल में गावं के नहीं बल्कि दूसरे गावों के बच्चे भी आया करते थे।।

सपना देखना ही नहीं उसे पूरा भी करना ज़रूरी है।।


Saturday, March 28, 2020

सपनों की उड़ान: part 1

कल्पना गवर्नमेंट कॉलेज में ग्रेजुएशन(graduation। कर रही है।।सपने थो बहुत है। कल्पना पढ़ाई और स्पोर्ट्स में बहुत अच्छी थी।।हमेशा अच्छे मार्क्स से पास हुआ कर्थी।एक दिन कल्पना के कॉलेज में एक नया एडमिशन हुआ।।वीना नाम की लड़की।।वह एक गांव से आए थी।कल्पना से अच्छी दोस्ती होगायी उसकी।। कॉलेज के आखरी दिन ते।।सब दोस्त अपने भविष्य के सोच विचार के बारे में बात करते हुए बैठे ते।।कल्पना की सोच एक अच्छा स्कूल लगाने का ता।।और वीन  भी अपनी सोच स्कूल के लेके ही थी।।

                    कल्पना शहर में जो वहां रहती है।।वहां स्कूल लगने  का ता।।और वीना अपने गावं में स्कूल लगन का सोच में थी।।कॉलेज होगया।।सब अपनी अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ रहे ते।।कल्पना बी अपनी सोच से अलग होगयी थी।।कॉलेज के बाद उसके सपने अलग होगाए थे।।एक दम शहर की हवा लग गए थी।।एक दिन अपने कॉलेज के किसी दिन पुराने विद्यार्थी को बुलाया गया।।कल्पना भी वह गए।।उसे वह वीना मिली।।दोनों मिल के बहुत सारी बात करे।।उस दिन कापना और वीना के लिए अच्छा गुज़रा।।वीना ने बताया जैसा वोह स्कूल का सपना था।।वैसे ही आपने गावं में स्कूल बनाए।।और अच्छी तरह चल री।।कहने लगी।।वीना ने बताया ।।कबी अपने गावं अके स्कूल आने के कह रही थी।।


          कल्पना ने वीना के स्कूल गए।।वहां की हालत देख कर।।कल्पना के आंखों में आंसू निकल पड़े।।स्कूल बहुत चोटा था।।वहां कुछ भी सही नहीं था।।कल्पना ने सोच लिया वोह वीना की मदद ज़रूर करेगी।।उसने अपनी सोच विचार सब स्कूल के विकास मै लगाया।।अब दोनों मिल कर स्कूल चला रहे है।।कुछ मदद सरकार ने भी दी।।

Thursday, March 19, 2020

ज़िन्दगी: निर्मला का बचपन

ज़िन्दगी: निर्मला का बचपन: निर्मला शहर से दूर एक छोटा गावं में रहेने वाली लड़की है।। उसका दिन उसके छोटे से घर में अपने मां के साथ शुरू होता ।उसकी मां हर रोज़ गावं के...

Wednesday, March 18, 2020

निर्मला का बचपन

निर्मला शहर से दूर एक छोटा गावं में रहेने वाली लड़की है।।
उसका दिन उसके छोटे से घर में अपने मां के साथ शुरू होता ।उसकी मां हर रोज़ गावं के नजदीक रहेने वाली जंगल से लकड़ी लेके गावं के कुछ लोगों को देकर पैसे कमाए करती ।।और निर्मला अपने कुछ दोस्तों के साथ खेला करती।।उसके गांव के खारीब या गावं से शहर जाने के बीच रास्ते में एक पीपल के पेड़ पास खेला करती।।

               निर्मला के साथ उसकी मां अकेले ही है।।उसका पिता निर्मला २ वर्ष की थी जबी निदान होगया था।।नार्मला की मां बी बीमार रह करती ।।बस ऐसा वैसा ज़िन्दगी गुज़रा  होता।।निर्मला के गांव में स्कूल नहीं है।अगर उसे स्कूल जाना है।तो उसे शहर ही जाना।। निर्मला के मां के पास इतने पैसे बी नहीं ते।।और वह अपने बेटी को अपने पास ही रखना चाहती थी।।
        ऐसे ही दिन गुज़रा ता गया।।उसकी मां बहुत बीमार होगाई।।घर चलाने के वास्ते निर्मला जंगल से  लकडि लेके बेचा करती।।बस उसकी उमर ११ वर्ष की ही है।।हर रोज़ शाम बस काम पूरा होने के बाद कुछ देर पीपल के पेड़ के पास बैठा करती थी।। निर्मला के उमर पड़ने लिखने की थी।।खेल कूद की थी।।उसे पता बी नहीं था।उसकी ज़िन्दगी बेहेतर हो सकती।।
उसके दिल में कुछ अरमान भी नहीं थे।।उसे पीपल के पेड़ के आगे के ज़िन्दगी से वह अनजान थी।।

**आज भी कई ऐसे जगह है।।जहां लोग को पढ़ाई के अहमियत मालूम नहीं है।

 पढ़ाई से  और  बी बेहेतार ज़िन्दगी गुजरी जा सकती
देश का विकास होगा।।

निर्मला में ऐसा कुछ हुनर होगा।।जो देश को और समाज को काम आ सकती ।।

पता नहीं ऐसे कितनी निर्मला है।।कहीं हम से हमारे समाज से दूर।।


Friday, March 13, 2020

मेरे छत पर चिड़िया

मेरे छत पर हर दिन एक चिड़िया अथी है।।।
पता नहीं कहां से आती है।

लेकिन वह बहुत खुश दिखाई देती है।।

काश मै भी एक चिड़िया होती

हर दिन उड़के चली जाती

इंसान हूं।।लेकिन फिर बी इंसान से डर जाती हूं

ज़बान है लेकिन कुछ कहा नहीं पाती।

जाजबात बहुत है।लेकिन दिल में दबा के रखती हूं।।

महफ़िल में हूं लेकिन अकेली महसूस करती हूं।।

चल सकती हूं लेकिन जहां नहीं जा सकती मुझे जहां जाना है।

काश मै चिड़िया होती

हर दिन उडके चले जाती


Thursday, March 12, 2020

रानी बेटी।।

बचपन में मां बोलती थी।।

मेरी बेटी रानी है।।

बहुत खुशी मिलती थी।

जब पता चला रानी का मतलब तब और खुशी मिलने लगी।।

लेकिन जब शादी के बाद जो ज़िन्दगी मिली।।

तब मैंने जाके मेरी मां से पूछा ।।

तू क्यों बोलती थी मुझे रानी।।

अगर तू मुझे रानी ना बोलती थी।

थो मुझे आज इतनी तकलीफ ना होती थी

मंजिल सपनों की

मंजिले देख कर हस रही है

मेरी तरफ....!!

कह रही है..।।

क्या हुआ तेरे हुनर को..।

कह चूपा दिया तेरे अक्कल को..।

मै सोंच में डूबी । बस यहीं सोच रही हूं

मंजिले थो वहीं है।।

लेकिन मै ही नहीं जा रही हूं।।

क्यों की जिम्मदारियां मंजिले से बढ़कर होती है।।