मेरे छत पर हर दिन एक चिड़िया अथी है।।।
पता नहीं कहां से आती है।
लेकिन वह बहुत खुश दिखाई देती है।।
काश मै भी एक चिड़िया होती
हर दिन उड़के चली जाती
इंसान हूं।।लेकिन फिर बी इंसान से डर जाती हूं
ज़बान है लेकिन कुछ कहा नहीं पाती।
जाजबात बहुत है।लेकिन दिल में दबा के रखती हूं।।
महफ़िल में हूं लेकिन अकेली महसूस करती हूं।।
चल सकती हूं लेकिन जहां नहीं जा सकती मुझे जहां जाना है।
काश मै चिड़िया होती
हर दिन उडके चले जाती
पता नहीं कहां से आती है।
लेकिन वह बहुत खुश दिखाई देती है।।
काश मै भी एक चिड़िया होती
हर दिन उड़के चली जाती
इंसान हूं।।लेकिन फिर बी इंसान से डर जाती हूं
ज़बान है लेकिन कुछ कहा नहीं पाती।
जाजबात बहुत है।लेकिन दिल में दबा के रखती हूं।।
महफ़िल में हूं लेकिन अकेली महसूस करती हूं।।
चल सकती हूं लेकिन जहां नहीं जा सकती मुझे जहां जाना है।
काश मै चिड़िया होती
हर दिन उडके चले जाती
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