सपनों की उड़ान part२
कल्पना की होसाला इतना बड़ा था कि वह अपने सपने में कमियांबी पा ली।।वीना ने अपनी तरफ से मदद करके उसकी सपना भी थोड़ा पूरा होगया था। कल्पना की पतशाला में बहुत सारी लड़के लड़कियां पढ़ाई होती है ।कल्पना ने उसी शहर के एक डाक्टर से शादी की।।
कल्पना की स्कूल में अपने दिन गुज़र जाता था।।कल्पना का कहना ये ता।।अगर कोई भी काम बोझ समझ कर नहीं करना चाहिए।।उसे ज़िम्मेदारी समझ कर करो।।काम इतना आसान होता।जैसे हम अपनी ज़िन्दगी जी रहे है।।स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के साथ दूसरे हुनर भी सिखाया करते ते।।
वीना भी अपने काम से बहुत खुश थी।।वह रोज स्कूल आया करथी और अपनी तरफ से पूरी खोशिस करती ।।स्कूल में सब बेहतरीन होने का ।वक़्त गुज़र था गया।।स्कूल में गावं के नहीं बल्कि दूसरे गावों के बच्चे भी आया करते थे।।
सपना देखना ही नहीं उसे पूरा भी करना ज़रूरी है।।
कल्पना की होसाला इतना बड़ा था कि वह अपने सपने में कमियांबी पा ली।।वीना ने अपनी तरफ से मदद करके उसकी सपना भी थोड़ा पूरा होगया था। कल्पना की पतशाला में बहुत सारी लड़के लड़कियां पढ़ाई होती है ।कल्पना ने उसी शहर के एक डाक्टर से शादी की।।
कल्पना की स्कूल में अपने दिन गुज़र जाता था।।कल्पना का कहना ये ता।।अगर कोई भी काम बोझ समझ कर नहीं करना चाहिए।।उसे ज़िम्मेदारी समझ कर करो।।काम इतना आसान होता।जैसे हम अपनी ज़िन्दगी जी रहे है।।स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के साथ दूसरे हुनर भी सिखाया करते ते।।
वीना भी अपने काम से बहुत खुश थी।।वह रोज स्कूल आया करथी और अपनी तरफ से पूरी खोशिस करती ।।स्कूल में सब बेहतरीन होने का ।वक़्त गुज़र था गया।।स्कूल में गावं के नहीं बल्कि दूसरे गावों के बच्चे भी आया करते थे।।
सपना देखना ही नहीं उसे पूरा भी करना ज़रूरी है।।
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