मासूम ज़िन्दगी
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आज देश भर कितने लोग गरीबी में जी रहे है
मेरे घर के पास एक खुला मैदान है।उसके आगे के स्थान पर कुछ लोग रहेत है।मैंने कबी उनसे बात नहीं की।में रोज कॉलेज जाते वक़्त अनलोग की देखा करती थी।एक छोटी बच्ची और उसके माता पिता ।और बहुत सारे लोग रह करते ते। उनलोग लकड़ियां का समान बना कर बेचा करते ते।
एक छोटी बच्ची जिसकी उम्र करीब ३ साल थी। बहुत मासूम थी।हमेशा अपने मा के आगे पीछे घूम थी। आने जाने वाले गाड़ियों को देखते रहे थी।उनका सब कुछ उस सड़क पे ही था।सब कुछ वहीं खाना ।वहीं रहेना।पता नहीं कैसे रहे लेते है।
कुछ दिन भाद उस छोटी बच्ची को एक और छोटी बहेन आ गए। उस छोटी बच्ची को लेके भी उन लोग उसी सड़क पर ही रहते है । इतना शोर था । पता नहीं कैसे रहे लेती थी ओ मासूम लड़की।
मैंने बहुत जगह पे देखा।जो बचे नए जन्म लेते है।उनकी बहुत ही नजुकी से रखते है।उनके आस पास थोड़ी बी आवाज़ आने नहीं देते। ओ छोटी बच्ची के लिए।यह सब कुछ नहीं था।नहीं उसके लिए साफ कपड़े बी नहीं ते। मेरे घर में कुछ बच्चों के कपड़े ते।मैंने एक दिन रात में उनके जगह पे रख के आ गए।
उस मां पे क्या गुज़ार थी होगी।जब उसके बच्चे हर चीज के लिए इतना रोते है।उस बाप पे क्या गुज़ार ता होगा।जो अपने बच्चो को ऐसे हालात में देख रहा है। पता नहीं उन लोग के दिल में क्या चल रहा है ।लेकिन मेरे दिल बस एक ही सोंच।ऐसे हालात कब बदलेगी।जब कोई बी सड़क पर नहीं रहेगा।आखिर उन लोग बी ज़िन्दगी है।जो उप्पर वाले ने दिया है।
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